Total Pageviews

Thursday, June 30, 2011

ANNAA JI

1 टिप्पणियाँ
भ्रष्टाचारी    खेल    मिटायें   , अन्ना जी |
नव आशा का दीप जलाएं ,  अन्ना जी  ||
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
अर्थ क्षेत्र   में    भ्रष्ट  आचरण   माना है ,
अन्य  क्षेत्र    के  भेद     बताएं ,   अन्ना  जी  |
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
राजनीति , नौकरशाही पर उठें  उंगलियाँ ,
अपनों पर  ऊँगली    उठायें , अन्ना जी |
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
कुछ अपनी तो कुछ औरों की भी  मानें  ,
नाहक  जिद्दी  रूप     दिखाएँ   , अन्ना  जी  |
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
'होरी' तानाशाही    होती     बहुत  बुरी    ,
तानाशाही      भाव    भगाएं    , अन्ना  जी  |
 @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
                              राज कुमार सचान  'होरी'
 

'RAJ NEETI'...[HORI KHADAA BAZAR MEN]8

0 टिप्पणियाँ

Tuesday, June 28, 2011

RAAJAA JI

1 टिप्पणियाँ
भ्रष्टाचारी खेल खिलाएं , क्या कहने हैं राजा जी ?
टेबल नीचे  हाथ    मिलाएं , क्या कहने  हैं   राजा  जी ?
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
सोने    चांदी   के   प्यालों    में   तख़्त    नशीं      हो ,
दारू ,दारा  पियें     पिलायें , क्या कहने हैं राजा जी ?
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
अपने   ही   क़ानून    और    अपनी           धाराएं, 
अंधे  पीसें   कुत्ते     खाएं , क्या कहने हैं  राजा जी ?
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
आँखों   वाले      रोयें  दीदा    फाड़ , फाड़       कर  ,
'होरी'  अंधे   गाना    गायें ,क्या  कहने  हैं  राजा जी ?
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
                            राज कुमार सचान 'होरी'  

Raj Kumar Sachan 'HORI': 'HORI KHADAA BAZAAR MEN[ 7] .... BHRASHTAACHAAR'

0 टिप्पणियाँ
Raj Kumar Sachan 'HORI': 'HORI KHADAA BAZAAR MEN[ 7] .... BHRASHTAACHAAR'

'HORI KHADAA BAZAAR MEN[ 7] .... BHRASHTAACHAAR'

1 टिप्पणियाँ
भ्रष्टाचार एक ऐसा अचार है जो भोजन को स्वादिष्ट और सुपाच्य
बना देता है  , तभी हर व्यक्ति जिसको खाने का अवसर मिल जाता
है  अचार जरूर चखता है  | मुख्य भोजन ,खाना ,नाश्ता व्यक्ति के मुख  में 'लार' लाने में  सक्षम नहीं होते , जबकि 'अचार' देखते ही खाने 
वाले के मुंह में  'लार' आ जाती  है  |कुछ 'अचार' तो इतने आकर्षक और  मुग्धकारी होते  हैं जिनको देखने से पहले  ही , मात्र सोचने भर
से लार  आती ही नहीं बल्कि टपकने लगती है  |
                                                  'होरी' दूसरे  शब्दों में कहें तो भ्रष्टाचार 
एक मिठाई है  जो भोजन  के साथ खाते हैं  |यह और  बात है , कि कुछ के भाग्य में मिठाई  का एक टुकडा आता है  तो  कुछ   के हिस्से में मिठाई
का  पूरा टोकरा |कुछ इतने  महत्वपूर्ण हैं  कि वे भोजन के स्थान पर
केवल मिठाई ही  खाते  हैं  |इससे भी ऊपर कुछ  अति महत्वपूर्ण और
भाग्यशाली हैं  जो  भोजन  नहीं  करते बल्कि  रात दिन मिठाई ही खाते  रहते हैं  |
                                         'होरी' ने एक  सर्वे पढ़ा कि  दुनिया में सर्वाधिक सुगर के मरीज भारत में मिलते हैं| अब समझ में आ रहा
है कि ऐसा क्यों है  ?सुगर  के  मरीज  सबसे ज्यादा क्यों ? क्योंकि भ्रष्टाचार  की  मिठाई  भारत में ही सबसे  अधिक खायी जाती है |
मिठाई भी  भांति  ,भांति  की  ....कोई लड्डू ही  खाता रहता है , कोई जलेबी ,कोई इमरती  ,कोई  रसगुल्ला ,कोई  कालाजाम , कोई रसमलाई ,.......न जाने कौन कौन  मिठाई  ? कोई  कोई  बतासे खा कर
ही काम चला लेता है  |
                                                    'होरी' ने सोचा ,चलो भारतीय बाज़ार
में कुछ लोगों से मिल कर  भ्रष्टाचार  और  भ्रष्टाचारियों पर बात करें
सबसे पहले  बाज़ार  में  माथे पर  पसीना बहाए , दाढ़ी खुजाते मिल गए .....ढेर सारा अनुभव लिए [भ्रष्टाचार का नहीं ] श्री श्री हरिपाल सिंह | मेरे पूछने पर  बोले  'भ्रष्टाचार  हमारे खून में है , जिसे मौका मिला वही खाता है , जिसे न मिला वह भोंकता है , सदाचारी बन जाता है |फिर समझाते हुए बोले  ....' दो कुत्ते हैं ...एक हड्डी चूसता
है ,बड़े मजे से , पूरे मनोयोग से ,एकाग्र हो कर    और दूसरा जो हड्डी 
नहीं पाता  हड्डी  खाने वाले कुत्ते पर झपटताहै , भोंकता है ,गुर्राता है ||थक कर बैठ कर दूर से  ताकता है  , कभी ,कभी 'अनशन' की मुद्रा
में  बैठे ,बैठे हड्डी की कल्पना में  खोया हुआ प्राणायाम करता है ,ध्यान लगाता है  .....लेकिन  जैसे ही अवसर मिलता है दौड़ लगा कर हड्डी पर  झपटता है  और वह भी बची खुची चूसने लगता है |
                                                एक सर्वे से और ज्ञात हुआ कि हर व्यक्ति को अपना नहीं ,सदा दूसरों का ही भ्रष्टाचार दिखाई  देता है
अपना भ्रष्टाचार बस एक फर्जी आरोप ,इसी द्रष्टि दोष के कारण एक सोसाईटी 
के कुछ सदस्यों को अपना भ्रष्टाचार  आज तक दिखाई न दिया भले ही उन्हें सारा देश भ्रष्ट दिखाई 
देता हो |
                                          'होरी'एक और बात ....भ्रष्टाचार में केवल 
आर्थिक भ्रष्टाचार ही दिखाई देता है  |ऊंच ,नीच समझने ,छुआ छूत
मानने , जातियों का जन्म से भेद , भाई भतीजावाद , भगवान् के नाम पर लूट , पाखण्ड ,अंध विश्वास ,ह्त्या ,बलात्कार , दहेज़ उत्पीडन ,सम्मान ह्त्या , राजनैतिक , नैतिक ,  देश द्रोह  ....... न जाने कितने और न जाने कितना    .....नहीं दिखाई देते |
                                             दुनिया में  सबसे अधिक प्रवचन करने वाले संत,महात्मा भारत में पाए जाते हैं |सबसे अधिक भगवान् भी
यहीं ,पर  नैतिक  पतन सबसे ज्यादा यहीं |भारत  के मंदिरों ,आश्रमों
में सदियों से सबसे ज्यादा धन |वाह क्या बात है ?माथा टेकते हैं लोग इसी का  | अब मेरा भी माथा फट रहा है  |चक्कर खा कर गिर पडा है 'होरी'.....मुख  से बस निकला है  ..."हे राम "
                                                   राज कुमार सचान 'होरी'

Sunday, June 26, 2011

HORI KHADAA BAZAR MEN 6..SAMMAAN HATYA [2]

0 टिप्पणियाँ
'होरी' काल्पनिक सम्मान का लबादा ओढ़े लोगों से रूबरू होने के लिए फिर बढ़ा .....एक भाई से पूछा ..'एक बहन की हत्या कर दी , एक  पिता से पूछा ...'एक पुत्री की हत्या कर दी' ,एक दादा से पूछा ...'एक पौत्री की हत्या कर दी' किस सम्मान के लिए ?अब तो हत्या के अपराधी भी हैं , अपमान और बढ़ा  |वे सब के सब टूट चुके थे ,पर ऐंठ रहे थे ,अकड़ में थे , काल्पनिक मूंछों में ताव दे रहे थे ..बोले ..'लड़की घर का सम्मान है ,हमने उसको मारा सम्मान बचाया |'होरी' पागल बना उनके चेहरों को पढता रहा ......वीरान ,भाव शून्य चेहरे व्यर्थ के भ्रम ,अहम् में दीप्त  ,सम्मान ह्त्या के जघन्य अपराधी ये पशु होते तो अच्छा होता |
                                       चलते ,चलते एक जागरूक ,समाजसेवक टाईप के व्यक्ति मिले , पूछा  ...'आप कुछ कहें ' 'क्या कहें ,सुप्रीम कोर्ट तक कह रहा है , कुछ हो रहा है ?फिर श्राप देते हुए बोले ...'हे भगवान् इनको औलादें न देना | आजकल मेरे वरिष्ठ साथी , इंडिया फायिट्स कास्टिस्म  फेम वाले श्री श्री  ००८  हरिपाल सिंह ,जिनकी चर्चा गली ,गली  नुक्कड़ ,नुक्कड़  है , अचानक एक जगह मिल गए |पूछा ...'सम्मान हत्या पर कार्यक्रम ?'  बोले , बोले क्या दहाड़े ..कहा
'हमारे संगठन में आंयें , अंतरजातीय विवाह करें , कराएं , सुरक्षा पायें , सम्मान  ह्त्या के अपराधियों को जेल भिजवायें | उनके हौसले
को प्रणाम कर आगे बढ़ा  |
                                    'होरी' के अन्दर का कवि जाग चुका था ....
'सम्मान  ह्त्या करने वालो !
जाति धर्म के ओ रखवालो !
भारतीय  तुम  वंश      नहीं   |
तुम  कागा   हो    हंस     नहीं  ||'
                                     सम्मान ह्त्या करने वालों को सरे आम फांसी की सजा न्यायालय दे  ,ताकि भारत को सम्मान मिले , भारतीय को सम्मान मिले .........हम फिर कह सकें  ..... 'वसुधैव कुटुम्बकम '|
                                      राज कुमार सचान 'होरी'

Saturday, June 25, 2011

HORI KHADAA BAZAR MEN 5 ...."SAMMAAN HATYA..HONOUR KILLING"

1 टिप्पणियाँ
समाज और इतिहास गवाह है ....'गंधर्व विवाह' आदि काल से होते आये हैं | जब स्त्री ,पुरुष घर से भाग कर बिना परिवार की मर्जी से
विवाह बंधन में बंधते  हैं  ,उसे गंधर्व विवाह कहा जाता है |भारतीय
संस्कृति ,प्राचीन इतिहास में  विवाहों  के भेदों में एक भेद यह भी है|
इस विवाह को मान्यता थी , अनेक द्रष्टान्त भरे  पड़े हैं |
                                        भारतवर्ष जिसके नाम से पड़ा उस भरत का जन्म दुष्यंत और शकुन्तला के  इसी विवाह से हुआ था |गंधर्व
या प्रेम विवाह  से  |हम भारत के लोग इसी प्रेम ,गंधर्व विवाह की संतानें हैं  |फिर होरी बाज़ार में खडा खडा  अपने बाल नोच रहा है ,
कपडे फाड़  रहा है  कि भरत वंशी अपनी सम्मान परम्परा से भटक
कैसे गए  ! सम्मान हत्या कैसे करने लगे !
                            'होरी' निकल पड़ा  कुछ पूछताछ  करने ...... एक पंचायत के पञ्च से पूछा 'घर कि लड़की और  उसके प्रेमी पति को दिन दहाड़े क्यों मार देते  हो ?'  पंचायत  का  उन्होंने अपमान किया
हमने सम्मान किया  |जीवन ,मरण  तो लगा ही रहता है  ,जो आया है फिर पैदा होगा  लेकिन सम्मान एक  बार मरा ,फिर दोबारा न पैदा होगा |
सम्मान हत्या हमारा सामाजिक धर्म है |पञ्च परमेश्वर को माथा टेक कर
'होरी आगे बढ़ गया ........अपने सम्मान ,अपमान  को सरपंच की 'खाप' तुला पर तोल कर अपनीं म्रत्यु के साक्षात् दर्शन कर फूट लेने
के सिवा और कोई चारा भी न था |
                                एक साहित्यकार से जानना चाहा .... 'सम्मान हत्या क्या है ?' वह शब्दों में  साहित्यिक चासनी लगा कर बोले  ...'यह वह सामाजिक ,साहित्यिक विधा है जो सम्मान वृद्धि  के
लिए संपादित की जाती है  | मैंने पूछा  यह साहित्यिक विधा कैसे? वह गंभीर होकर बोले  ....'स हितम ईति साहित्यं , जो हित के लिए किया जय वही साहित्य है  |यह सम्मान हित के लिए है इस लिए साहित्यिक है |मई खीज कर बोला....'आप उचित समझते हैं ?' नहीं , यह उचित ,अनुचित के भेदाभेद  से परे है |आगे बोले मेरी एक कहानी की नायिका सम्मान हत्या की शिकार हो जाती है , मेरा वह उपन्यास बहुत बिका , कहानी है  ......|मै जान बचा कर भागा |
                             कई पत्रकारों के साक्षात्कार लिए .... सब के सब ने  आनर किलिंग के  मनोहारी शब्द चित्र प्रस्तुत किये ,कथानकों
के सांगोपांग वर्णन सुनाये , भर्त्सना से  अधिक उनका ध्यान नायक नायिका के नख शिख चित्रण पर रहा  | भागा एक बार फिर कहीं पत्रकार मेरा ही इन्त्र्वियो न  ले ले  | अब समाज के अन्य वर्गों का साक्षात्कार  आगे लूँगा ,तब तक ठंडी श्वाश ले लूं |
                               राज कुमार सचान 'होरी'

Wednesday, June 22, 2011

HORI KHADAA BAZAR MEN 4

0 टिप्पणियाँ
देश  में बलात्कार की घटनाओं में वृद्धि से   सरकारें ,जनता तो परेशान हैं ही , उससे ज्यादा 'होरी' परेशान  है  |आज बाज़ार में  चारों  ओर बलात्कार की चर्चा है  ,'होरी' खड़े हो कर बस देख रहा है ....जो बलात्कार झेल रहे हैं उन्हें भी और जो  बलात्कार  खेल रहे हैं उन्हें भी |
                                       'होरी' को यह जान कर  संतोष है कि इस बार बलात्कारियों से  अधिक जागरूक और संवेदनशील सरकारें हैं |
मैंने भी सोचा है कि इस नेक काम [सजा दिलाने ] में अपना भी योगदान हो , ताकि  बलात्कार  पर जब क़ानून बने और उस पर इतिहास लिखा जाये ,मेरा नाम भी रिकार्ड बुक में दर्ज किया जाए |देश का एक एक बलात्कारी और उनकी भावी पीढ़ी मेरे नाम से भय खाए  , बलात्कारियों पर बलात्कारी  के रूप में मेरा नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाए |
                                                   'होरी' का उद्देश्य समाज से बलात्कार
को मिटाना है ,बलात्कारियों  को भी मिटाना है |पाप से घ्रणा करो , पापी से नहीं , कि कहावत यहाँ नहीं चलेगी |इस कहावत को मानने
वालों को यहाँ पानी में भिगोये जूते मिलना तय है ,इसीलिये मैं कहता हूँ ....पाप से और पापी  दोनों से घोर घ्रणा करो ,केवल घ्रणा ही नहीं बल्कि बलात्कार पर जोर से ,पूरे दम से बलात्कार करो |
                                        आईये मेरे साथ , बलात्कार पर बलात्कार करें |एक बलात्कार विरोधी मोर्चा बनाएं , जिसमे वे सारे सदस्य हों
जिन्होंने कभी भी सोते ,जागते ,सपने में भी बलात्कार का ख्याल मन में न आने दिया हो  .......पर एक मुशीबत सर मुडाते ही ओले पड़े .....लोग सदस्यता फार्म तो ले जाते हैं जोर शोर से , पर सदस्य कम बन रहे हैं |'होरी' ने अपने मुख्य जासूस श्री श्री १००८ हरिपाल सिंह को कारण जानने में लगाया तो उनकी रिपोर्ट में हुए खुलासे के अनुसार समाज में ऐसे बहुत कम लोग हैं जिन्होंने कभी भी मनसा , वाचा ,कर्मणा बलात्कार का ख्याली पुलाव न पकाया हो |फिर भी हम निराश नहीं मोर्चा ,मोर्चा खाए हुए बढ़ रहा है |
                                                हमारे मोर्चा ने मेरी अध्यक्षता में कुछ सुझाव दिए हैं , अगर इनका पालन हो गया तो समझो बलात्कार गया ,बलात्कार बस पुस्तकों में मिलेगा ,समाज में नहीं |दंड प्रक्रिया संहिता में , आई पी सी में परिवर्तन किया जाय कि ....उसको जमानत मिले ही नहीं ,जब तक पीड़ित युवती ,बालिका ,बुढ़िया या
जैसा भी केस हो स्वयं उसकी जमानत न ले |जब तक जेल में बलात्कारी  रहे  उसे कपडे पहनने को  न दिए जाँय ,जेल कि दीवारें उसको घूर ,घूर कर बलात्कार  करती रहें |
                                         मुक़दमे में पेशी के दौरान भी बलात्कारी को फटी कच्छी , बनियायिन  ही पहनने को दी जाँय  |दौरान मुकदमा
बलात्कारी  को खड़े  रहने के स्थान पर  घुटनों के बल रहने को कहा जाय |बलात्क्रता नारी से वकील जबानी कुछ न पूछ सके , सिर्फ कागज़ पेन्सिल से ही  काम चलाया जाय  |जेल में बलात्कारी को कभी भी बाल बनाने की सुविधा न दी जाय  ,जिससे उसे पता चल जाय कि कुरूपता क्या होती है  ,वोह कितना गंदा है |
                                          सरकारों को चाहिए  , वे  प्रत्येक वर्ष सर्वे कराएं और एक पल्स पोलियो टाईप का टीका उन्हें लगाएं जिनमे  प्राथमिक तौर पर बलात्कार के वायरस पाए जाँय , उनकी बलात्कार्नुमा मर्दानगी का समय रहते इलाज़  करते रहा जाय |ऐसे बलात्कारियों को  जिनमे यह बीमारी सेकण्ड स्टेज क्रास कर गयी हो , वे चाहे जेल में हों या बाहर , ऐसी दवा दी जाय जो उन्हें धीरे ,धीरे शिखंडी समाज के लायक बना दे |उनकी पीठ पर लिख दिया जाय .......पुरुष नालायक , किन्नर लायक  |
                                                             चूंकि बलात्कारी बड़ा मर्द बनता है ,इस लिए उसे  सजा के तौर  पर  फौज कि अगली कतार में रखा जाय |वे दुश्मन से जिस तरह का भी युद्ध करना चाहें करने की छूट दी जाय |हो सकता है बलात्कारी युद्ध की एक नयी विधा ही विकसित करदें जिसे दुनिया का कोई भी देश न जानता हो |
                                        मर्द और औरत की  जनसँख्या में अंतर ठीक किया जाय , कन्या भ्रूण ह्त्या बंद कराई जाँय |एक समय ऐसा आ जाय कि पुरुष कम  ,नारियां अधिक  |तब नारियां पुरुषों से
अपने पूर्वजों का बदला लें और  पुरुषों पर बलात्कार करें |शठे शाठ्यम समाचरेत |फिर 'होरी' बाज़ार में जायेगा और नए उपाय, क़ानून बतायेगा |
                                                 अब लेख के साथ ही लगता है बलात्कार हो रहा है , इसलिए बलात्कार कथा समापन की पवित्र अनुमति दी जिए |
                                        राज कुमार सचान 'होरी'
                                                       

Tuesday, June 21, 2011

HORI KHADAA BAZAAR MEN 3

0 टिप्पणियाँ
एक होता है पुरुष धर्म और दूसरा नारी धर्म |जो दोनों धर्मों से बराबर दूरी रखे उसे ही  सच्चे अर्थों में धर्मनिरपेक्ष कहेंगे ...बोलचाल की भाषा में उसे  ही हिजड़ा कहेंगे , महाभारत की भाषा में उसे ही शिखंडी कहेंगे  |
                                       इन शिखंडियों से  बड़े ,बड़े   भीष्म हार मान गए ,हम आदमियों की क्या बिशात ? औरतें तो इनसे  जन्मजात घबराती हैं , हाँ ,यह अलग बात है कि  औरतें  इनसे  ही अदाएं सीखती हैं  |आज की  आधुनिक नारी  इतनी किन्नरा  गयी है कि असली किन्नर बगलें झाँकने लगे हैं  |प्रतिक्रियास्वरूप वे हिंसक हो गए हैं  |
                                                  ये हिंसक हिजड़े अपने शिकार की तलाश में ज्यादा हाथ , पाँव ही  नहीं अपने  हर  अंग को मारने लगे हैं |अपने  अंग , प्रत्यंगों को  धार दार  बना कर ,ज़बान की कैंची चला कर अपने  प्रभुत्व को  इतना स्थापित कर  दिया ,कि मुम्बई नगर निगम ने  तो  इनके सारे  समाज को  ही  नौकरी पर रख लिया ,लगा दिया करों की  वसूली में  , आज  तक का रिकार्ड है करों की इतनी वसूली न पुरुष  कर सके थे न  नारियां  |है न शिखंडी सेना सर्वशक्तिमान ||
                                                ऐसी किन्नर सेना  के  चक्कर में नवाबों का नगर निगम पड़  गया ... उसने इनके  उत्पीडन से नर , नारियों को  बचाने का  ठेका ले लिया ....फरमान जारी  किया कि सभी शिखंडी  सीमओ  से  सर्टिफिकेट लायेंगे , और यह कि पारिवारिक कार्यों में जबर्दश्ती  वसूली  नहीं करेंगे | किन्नर सेना भिड़ गयी  |एक किन्नर   बड़े  अधिकारी से  .....'तू , बनवा ले अपनी माँ का
सर्टिफिकेट  |अपने  बाप को  समझा कि  हमें रुपया न दे |हाय , हाय .
अपने माँ बाप  पर  कंट्रोल नहीं  हम  पर  कंट्रोल करेंगे |हाय,हाय पेट पर  लात मारते  हैं  पीठ पर  मारने  की  दम नहीं   मर्दुओं की ||कुछ किन्नर बहने  , और कुछ  हिजड़े  भाई निगम  में  दिगंबर बनने की प्रक्रिया संपादित करने  लगे  ,कुछ  अधिकारियों , कर्मचारियों  के साथ
संयोग श्रृंगार में  संचारी भाव ,तो  कुछ व्यभिचारी  भावों में लिप्त होने लगे  |रस प्रवाह होता देख , मर्द टाईप के अधिकारी मैदान छोड़ कर भागे |विजयी किन्नर  सेना  भीश्मों  को  मारती अर्जुनों के रथ पर
सवार शहर में  पहले से  अधिक बल प्रयोग करती घूमने लगी |'होरी'
लखनऊ के बाज़ार में खडा सबकी  खैर मांग रहा है |
                                     दुआ कर रहा है कि इस सेना  को  पाक बार्डर
पर भेज दो ईश्वर  |हमसे तो  यही बहादुर हैं  पाक को नापाक भी कर देंगे ,
हरा भी  देंगे  |
                                     जय किन्नर , जय शिखंडी , जय  हिंद |
                                     राज कुमार सचान 'होरी' 

HORI KHADAA BAZAAR MEN 2

0 टिप्पणियाँ
आज  लोकपाल  भारत के शरीर  में  उतनी  ही  मात्रा  में  व्याप्त  हो  गया  है  जितना  कि भ्रष्ट्राचार  या  कि  जितना प्रदूषण  | जितनी  बार  हम  सब  लोकपाल  का  नाम  ले  रहे  हैं ,अगर  भगवान् का  लेते  तो  सीधे  वोह  आते  और  पुष्पक  विमान  में  हमें  सादर  बैठा  कर  स्वर्ग  ले  गए  होते  |किस्सा  यह  कि  अब  तक सारा देश स्वर्ग आरोही  हो  गया  होता |लोकपाल  पता  नहीं  क्या  कर  पायेगा  , हाँ  , भगवान्  जरूर  उद्धार  कर  देता |
                             लोकपाल क्या  है  , कैसे  आएगा  ? कहाँ  से  आएगा ?कितना  आयेगा ? किस  पर  आएगा  ? उसके  आने  जाने  के  राश्ते  क्या  होंगे ? एक ही होंगे  , की  अलग  अलग ?जितने  मुंह  उतनी  बातें  , पता  किसी  को  नहीं  पर  तुर्रा  यह कि जानते  सभी |
                           मैंने  सोचा, चलो  बाज़ार  की हालात  का  जायजा  ही  लिया  जाय |एक खाजूरिवाल टाईप विशेसग्य से  पूछा  | वोह  बोले  ....'लोकपाल' का मतलब  नहीं  जानते  होरी  जी'  ,मुंह ऐसा बनाया  ,जैसे की मुझ पर तरस खा रहे हों , फिर तैस में बोले ....'सरल भाषा में समझो ,लोकपाल का मतलब  ठोकपाल, जिसे जब कहें , ठोंक दे , यहाँ तक कि प्रधानमंत्री को भी |वोह पूर्ण स्वतंत्र होगा ठोंकायी में  , जितना  चाहे  , जब  चाहे  ठोंके  |ठोंकने का  उसका अपना इस्टाईल होगा |
                                          एक सज्जन घूमते घामते और मिल गए ,साथ  में  उनका  बेटा भी |मैंने जिज्ञासा की 'क्या बाप बेटे साथ ही रहते हैं ?बोले 'जन्म से साथ ही हैं ,साथ  तो  साथ  , अगर अपोसीट भी होतें हैं  ,तब भी साथ साथ  | महाभारत काल से यही ध्रुव सत्य है |मैंने वही प्रश्न किया ....'लोकपाल क्या है ? वे बाप ,बेटे एक साथ ,एक स्वर में बोले  ' लोकपाल  का  सीधा  अर्थ है ..भोंकपाल , वोह  जब ,जिस पर चाहे  भोंके |थोड़ा ,थोड़ा भोंके या जम कर भोंके |रात को भोंके ,दिन को भोंके  या दिन रात भोंके |भोंकना और काटना उसका  जन्म  सिद्ध अधिकार होगा |
                              एक  सज्जन  और  टकरा गए , वोह कन्ने उड़ाने में लगे थे , मैंने उनसे कन्नी काटनी  चाही तो वोह मुझसे  ही भन्ना गए ...बोले ... मुझसे कन्नी काट कर जाओगे कहाँ  ?पूरे देश में मिलता हूँ |मेरे माफ़ी मागने पर खुश हो गए  ,बोले होरी तुम क्या ,मुझसे तो पी एम ,सी एम  सभी माफ़ी मागते रहते हैं |चलो माफ़ किया , पूछो क्या जानना  चाहते हो ...  ?मै बोला ..'लोकपाल का अर्थ क्या है ? वोह  गांधी की तरह की मुद्रा  बना कर बोले ..'रोकपाल, यह देश के सभी भ्रष्टाचार पर रोक लगा देगा ,इसलिए यह लोकपाल मतलब रोकपाल होगा | मैंने विस्तार से  जानना चाहा  तो अब वोह कन्नी काटने लगे , बोले हमारी सिविल सोसायटी ने जितना बताया है ,बोल दिया,इससे ज्यादा वही बताते हैं
वही बताएँगे
                               मैंने देश के हर खासो आम से हर ऐरा गैरा,नत्थुखैरा से लोकपाल का अर्थ पूछा , मतलब पूछा ........|किसी ने इसका अर्थ जोंकपाल  बताते हुए समझाया ....यह एक जोंक होगा  जो भ्रष्टाचार का खून पी जाएगा |किसी ने समझाया .....जो कुछ ज्यादा अनुभवी थे  , बोले 'होरी जी यह धोक्पाल होगा , सब की तरह यह भी धोका देगा  |किसी ने कहा .. यह झोंक्पाल होगा , सब कुछ झोंक में करेगा , जांच भी , जांच का समापन भी |
                                   'होरी' बाज़ार का मोल भाव  लेते हुए आगे बढ़ता   रहा ....,बढ़ता रहा  |
                                     राज कुमार सचान 'होरी '

Monday, June 20, 2011

HORI KHDAA BAZAAR ME

0 टिप्पणियाँ
आज के  भारतीय बाज़ार में चारों ओर  बस एक ही ज़िंश  [कमोडिटी] की  मांग और बिक्री दोनों  जोरों पर है ......"अनशन" | कीमत मुह देखी है |कहीं  अरबों  के  स्विस  डोलर  के  बराबर  तो  कहीं  कौड़ी  के  मोल |
                अन्ना टाईप के  अनशन  की  कीमत  बाज़ार  में  शेयर की  तरह  खूब  उछली  , देश  के  दुधमुंहों से लेकर श्मशान की  ओर  अग्रसर बुड्ढों तक ने  इसका स्वाद  लिया  |इस  अनशन  में  अकड़ इतनी  . हर  अनशनकारी  अन्ना का   भी  अन्ना  हुआ जा रहा था | मुझे इस  दौर  में  अपने  गाँव   की  खूब याद  आती  रही  , जो  जानवर  खुला  ,बेलगाम  घूमते थे उन्हे  भी  इसी  तरह  का  नाम  दिया  जाता  था |जो भाई बंधू  बुंदेलखंड  की  धरती  को  बिलांग  करते  होंगे  वे  इस  तरह  के  प्राणियों  से  खूब  परिचित  होंगे.|छुट्टा फिरते  हैं  , किसी का खेत चर गए तो किसी के  दरवाजे  की हरियाली   ही  कुछ  खाए , कुछ नोच गए |
                                      बाज़ार में 'अन्ना' एक  नैशनल  ब्रांड  बन  गया | हर की  जुबान  पर  इसी का श्वाद  ,  किसी  को  खट्टा  लगता  था  , तो  किसी  को  मीठा  , किसी  को  भयंकर  कडुवा  तो  किसी को  कसैला |आलम यह  की  अन्ना  एक , स्वाद  अनेक  |अन्ना  का  स्वाद  तो  कुछ  लोगों  के  लिए  गूगे  की  मिठाई  थी  ,  खाते  थे  बता  नहीं  पाते   थे  |
                                                                            होरी  ने  ही  नहीं  पुरे  विश्व  ने  देखा  , बाज़ार  में  अन्ना  ब्रांड  के  उतार के  बाद  बाबा  ब्रांड   का  चढ़ाव  आया |इस  ब्रांड  ने  गगन  भेदी पहचान   बनायी  , गिनीस बुक  वाले  भी  भारत  की  ओर  दौड़े  , पर  बाबा  ब्रांड  में  कुछ  मिलावट  के  कारण ऐसा  शेयर लुढका  की , रात  में  पुलिस  ने  बहुत  सम्भाला  , पर  भागते  , भागते  मिल  ही  गया | असल  में  बाबा ब्रांड  एकदम  से   दाई  ब्रांड  बन  गया  |बाबा ब्रांड  को  लाठियों  से  DAR   भला  काहे का  , मगर  दाई  ब्रांड  डर  गया.  गिरते  पड़ते  , लुढ़कते चढ़ते हरिद्वार   गया |बिचारे  गिनीस  बुक  वाले  ढेर  ,  रिकार्ड  करें  तो  क्या  ?
                                                              कहावत  के  अनुसार  ही   बाबा  ब्रांड   भी   घर  का  शेर  था ,अपनी  मांद में  दहाड़ने  लगा  | एक  नया प्रयोग  अपने  ही  घर  में  अनशन , लेकिन  बाबा , बाबा न रहा था  ,  एक  बार  दाई  बन  चूका  था  सो  अनशन  में  ढेर  ,सारे  योग  ,प्राणायाम  निरर्थक   |वोह  तो  भला  हो  एक  शंकर  का  जो  ऐन वक्त पर  आ गया , नहीं  तो  बाबा ब्रांड  भूत  का  ब्रांड  हो  जाता|
                                                     आईये  बाज़ार  में  सर्वे  करें  , अनशन  के  आज  के  भाव   क्या  हैं  ,? बुल  की  रिपोर्ट  के  अनुसार  इसमें  जबरदस्त  गिरावट  आयी  है  , बाज़ार  के  विशेसग्यों  की  राय  है  की  स्वतंत्रता दिवस के  पश्चात एक  बार  फिर  अनशन  कमोडिटी  में  उछाल आएगा | तब  तक  होरी  के साथ आप भी बाज़ार में खड़े रहिये |
                                                               राज कुमार सचान 'होरी'

Saturday, June 18, 2011

HORI KHADAA BAZAAR ME

0 टिप्पणियाँ
'होरी   खड़ा  बज़ार  में'    शीर्षक  से  एक व्यंग्य  लेख  दिन प्रतिदिन    की  घटनाओं  पर    आरंभ   कर  रहा  हूँ , कृपया  प्यार दीजिये , आनंद  लीजिये , बज़ार  में कुछ खरीदिये , कुछ बेचिए , नगद ,उधार , लीजिये , दीजिये , बज़ार  के  बाजारुपन  को  झेलिये , और  सब के  साथ लीजिये   आनंद  बज़ार  में   खड़े   होने का , 'होरी' के  साथ  | आईये , पढ़ें ................
$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$
                                  राज कुमार सचान  'होरी' 

Thursday, June 16, 2011

KAYIKU

0 टिप्पणियाँ
मैंने  हिंदी  साहित्य   में   कुछ  वर्षों पूर्व  'कायिकु' विधा  को  जन्म  दिया  था |सिद्ध किया था कि  लघुतम  कविताओं का  जन्म  भारत  में  हुआ  था , न कि  जापान में | 'कायिकु'  और 'स्वदेशी कायिकु , विदेशी हाईकु' विषय  पर  मेरी दो  पुस्तकें    आ चुकी   हैं |प्रस्तुत  हैं  कुछ   कायिकु  ..............
                                'धर्म  अफीम
                                       खा रहे पिनक में
                                                     धर्म       नशेड़ी  '
'सशक्त   राष्ट्र   
           के        वास्ते
                   लौहपुरुष के रास्ते '
                                                                ' दलदल भूमि में
                                                                         धंस गए हैं हम
                                                                                दादुर भांति'
'जाति व्यूह  में 
        अभिमन्यु  फंसा
                     भारत  सा  ही '
                                                            'है  रस  नहीं 
                                                                        पीर अंतस नहीं
                                                                              कवि  कायिकु  '
                   *****************************
                             राज कुमार  सचान  'होरी'

Tuesday, June 14, 2011

Raj Kumar Sachan 'HORI': dictator lokpal

0 टिप्पणियाँ
Raj Kumar Sachan 'HORI': dictator lokpal: "Nowadays important disscusion in india is whether PM be included or not in lokpal jurisdiction.Prime minister is peak post in indian ..."

dictator lokpal

0 टिप्पणियाँ
Nowadays  important  disscusion  in india  is whether  PM be included or not in lokpal  jurisdiction.Prime minister is peak post in  indian democracy ,if it comes under any  one  who  is not  elected by  people of india it will not  function properly . Then lokpal  may  misuse  of  hi  post  against PM, and  image of  nation  will be  paralysed  then. In our  country if  some time  it  happens  that  lokpal  himself  corrupt or dictator then  whole  system  of  indian  democracy  and  machinery will be  ruined. India  cannot   afford  to  create  a  super power  post  who  can  control  whole nation.  Neghbouring countries  have  fallen  in hands  of  dictators due  to  assimilations  of  powers .Let  us  think in the  long interest  of  nation and not  personal  interests  or  personal  egos  or  whims  .  One more  point  civil societies  five  members  are  not  represntatives of whole  indian  society.  they  are  self  selected , self nominated they  cannot  dictate  the  things  .  they  behave  as if  they  are  only  right  people . these  type  of  civil  societies  may be in  lacs  and  lacs  by  pressure  , ansan, satyagrah ,hadtal, jail bharo type  of  andolans. Only  chaos will be the  result  of  all this.

                    let  us think  and  decide  calmly in the national  interest 
                                                                  'hori' rajkumar sachaan

Monday, June 13, 2011

gazal

3 टिप्पणियाँ
प्रकृति और  पुरुष  में  गुनगुन  ,  झंकार   ग़ज़ल  होती  है  |
प्रेमी  युगल  हियों  में  रुनझुन    मनुहार   ग़ज़ल  होती  है |
********************************************
तरुण   तरुणी   श्रृंगार  भरे   रस  कलशों   की  जो  छलकन  ,
आसक्तिसिक्त  औ    काम  युक्त  , व्यापार   ग़ज़ल  होती  है |
**********************************************
चितवन , सिहरन, छुवन , मिलन  , बिछुड़न औ पुनि पुनर्मिलन ,
दो तन मन      की   शाश्वत  तड़पन  , गलहार   ग़ज़ल  होती  है |
***********************************************
प्रेमीभाषा   में   कहूं  कि  यह   तोता  मैना  की  चोंच  लरन  ,
लैला  मजनूँ   और  शीरी   फरहाद     , ग़ज़ल    होती  है    |
********************************************
पर  ग़ज़ल  कहूं   किस  भांति   बता  ऐ   मुझे  राष्ट्र   के  जन  गन मन ,
आधी  जनता  दुःख  दर्द   भूख   थक   हार   ,  ग़ज़ल   होती      है ?
                                               राज कुमार  सचान  'होरी'
 

gazal

0 टिप्पणियाँ
प्रकृति  और पुरुष  में  गुनगुन  , झंकार  ग़ज़ल  होती है |
प्रेमी  युगल हियों   में  रुनझुन , मनुहार    ग़ज़ल  होती है ||
********************************************
युवक युवती श्रृंगार   भरे  , रस  कलशों   की  जो  छलकन ,
आसक्ति सिक्त  औ  कामयुक्त  , व्यापार   ग़ज़ल होती है |
********************************************





Sunday, June 12, 2011

MUKTAK5

0 टिप्पणियाँ
जिंदगी   को  यदि   जिया  , भीड़   से  होकर   प्रथक   ,
निश्चय   ही   दुनिया   में  आप   नाम   कर   जायेंगे |
कष्ट   तो   होंगे   बहुत    वर्णन   भी जिनका है कठिन ,
पर  राम  , मुहम्मद  , ईशा  भी tabhi ban    paanyenge ||

muktak5

0 टिप्पणियाँ
शब्दों  के  अम्बार  भी  लगा कर  , हम कह नहीं  सकते
जो    बेजुबान       आँखें      बेज़ुबानी       कह    जाती    हैं  |
शब्द कोशों    के  सारे   शब्द  , क्या कह  पायेंगे  वह  सब ,
जो  दिल से  कोई   आँखें    अनजानी     कह  जाती      हैं ||
                                                                  राज कुमार सचान 'होरी'

Saturday, June 11, 2011

muktak4

0 टिप्पणियाँ
हम  कहाँ  इनको अपना पता है नहीं ,
पर खुदा का  पता  जानते  ये  सभी |
यदि खुद का  पता  ,ये  क्षणिक जान लें ,
बन्दों  बन्दों  में  झगडे  न हों फिर  कभी |
                                         राज कुमार सचान 'होरी' 

Friday, June 10, 2011

live india

0 टिप्पणियाँ
lokpaal  be not as  dictator.  he must not be given  enormous powers  .

Thursday, June 09, 2011

kavita

0 टिप्पणियाँ
आज  बाबा रामदेव  के  कथित  अनसन  की  चारों  और  चर्चा  है  . क्या  कोई  भी  व्यक्ति  अपने  घर  या  कार्यालय  में  अनसन कर  सकता  है  जिसकी  वही  मान्यता  होगी  . व्यक्तिगत  रूप  से  घर  या  कार्यालय  में  कोई  भोजन  न गृहं  करे  और  उसे  अनसन  का  नाम  दे  तो  यह  मखौल  होगा  .बाबा  जी  ससस्त्र  बल  बनाने  की  घोसना  करते  हैं  . लगता है  बाबा  का  अहम्  उन्हें  नष्ट  कर  देगा  और  अगर  ऐसा  होता  है  तो  यह  एक  देश  की  छाती  होगी