Through lectures of Motivation,Personality Development help people and particularly young generations to achieve success . MAKE IN INDIA and MAKE BY INDIA is my way .PCS(retd) हिन्दी साहित्यकार ,दो दर्जन पुस्तकें ,मंचों में संचालन और काव्यपाठ । सम्पादक -- "होरी" पत्रिका और पटेल टाइम्स www.pateltimes.blogspot.com,www.horiindianfarmers.blogspot.com,www.indianfarmingtragedy.blogspot.com rajkumarsachanhori@gmail.com ,pateltimes47@gmail.com
Total Pageviews
Friday, May 13, 2016
Thursday, May 12, 2016
Hori KAHIN
होरी कहिन
----------
१--
राजनीति के व्यूह में , फँसा राष्ट्र अभिमन्यु ।
नेता दुर्योधन सदृश , करें अनीति जघन्य ।।
करें अनीति जघन्य , महाभारत रचते हैं ।
युद्धों में बस काग,गिद्ध ,निशिचर बचते हैं।।
होरी अब तो बन्द करो , ओछा अनीति ।
नहीं, ग़ुलामी आ जाये , इस राजनीति ।।
०००००००००००००००००००००००००००
२--
एकत्रित होने लगे , कालोनी के चोर ।
आपस में मिल बाँट कर, खायें करते शोर ।।
खायें करते शोर , सभी मौसेरे भाई ।
ख़ुश हैं मोटी मोटी पा , घनघोर कमाई ।।
साहूकार अकेले होकर, दिखते हैं असहाय ।
चोर तिजोरी लूट कर ,गये सभी कुछ खाय।।
००००००००००००००००००००००००००००००००
३--
उत भी जंगल राज है , इत भी जंगल राज ।
होरी दिन कैसे कहो , जनता देखे आज ।।
जनता देखे आज , दुशासन सीना जोरी ।
टूट गई है आज , सुशासन वाली डोरी ।।
ख़ुश हैं चारों ओर ,भेड़िये ,चीते आज ।
होरी फैला देश में , देखो जंगल राज ।।
०००००००००००००००००००००००००००००
राज कुमार सचान होरी
Sent from my iPad
Sunday, May 08, 2016
Monday, May 02, 2016
Hori Kahin
होरी कहिन
----------
१--
होरी लघु तो थामिये , बड़े न दीजै डार ।
वहाँ करेगी क्या सुई, जहाँ काम तलवार ।।
जहाँ काम तलवार , वहाँ नाकाम सुई हों ।
किन युद्धों में सुइयाँ ,लडने कहो गई हों ।।
लघु के साथ बड़ों से नाता ,बहुत ज़रूरी ।
तभी मिलेगी तुम्हें सफलता ,भाई होरी ।।
०००००००००००००००००००००००००००००
२--
दिल्ली में तुग़लक़ हुये,दिल्ली का सौभाग्य ।
बाक़ी क्षेत्र दुखी हुये , रोते हैं दुर्भाग्य ।।
रोते हैं दुर्भाग्य, मनायें , आयें तुग़लक़ ।
ख़ुश ख़ुश हैं पंजाब क्षेत्र के ,सारे उजबक ।।
मफ़लर राजा ख़ुश ही रहते,भले उड़ाओ खिल्ली ।
होरी इसको कहते हैं , दिल वालों की दिल्ली ।।
००००००००००००००००००००००००००००००
३--
कारों की बिक्री बढ़ी ,आड इवेन के फेर ।
दिल्ली सारी पट गई , विज्ञापन के ढेर ।।
विज्ञापन के ढेर , 'आप' के द्वारे द्वारे ।
दिल्ली वाले फिरते हैं बस , मारे मारे ।।
वायु प्रदूषण , विज्ञापन का ,बढ़ा प्रदूषण ।
होरी दिल्ली वालों का तो , अब भी शोषण ।।
-----------_-----------------------
राजकुमार सचान होरी
Sent from my iPad