आत्म कथ्य
-----------------------------राज कुमार सचान होरी -राष्ट्रीय संयोजक बदलता भारत(India Changes)
भय कहाँ मुझको कभी , असिधार में चलता हूं मैं ,
तुम किनारों से चलो ,मझधार में चलता हूं मैं ।
माँ शारदे ने है दिया अधिकार मुझको लेखनी का ,
"होरी" बना ,नित दर्द के संसार में चलता हूं मैं ।।
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Well, fine
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