कुछ नेता और राजनैतिक दल जिनको मुसलमानों की राष्ट्र निष्ठा और राष्ट्र भक्ति में संदेह होता है वे ही समझते हैं कि मुस्लिम आतंकवादियों और कट्टर लोगों का समर्थन कर वोट बैंक के तौर पर मुसलमानों का वोट लिया जाय । ये भूल जाते हैं कि मुस्लिम इन आतंकवादियों का समर्थन नहीं करते । वे यह भी भूल जाते हैं कि वे देशभक्त हैं । लेकिन गांधी से लेकर आज तक कुछ धारायें हैं भारतीय राजनीति की जो हैं तो हिन्दू पर वे देश और हिन्दुओं को गाली देने में आगे रहते हैं कि शायद मुसलमान ख़ुश होंगे । पर ऐसा नहीं ,यह इनकी मूर्खता है । ये न तो मुसलमान के सगे न हिन्दू के सगे और न ही देश के सगे । ये सगे हैं सत्ता के , कुर्सी के ,परिवारवाद के , धन के ।
इन्हीं जयचन्दों और मीरजाफरों ने कभी देश को ग़ुलाम बनाया था ,फिर उनके वंशज राजनीति में बढ़ रहे हैं । अभिव्यक्ति के नाम पर पाक के गुणगान करना, संसद में हमला करने वालों का समर्थन , भारत के टुकड़े टुकड़े करने की चाह रखने वालों का खुल कर समर्थन , यह सब क्या है?
जब देश की लम्बी ग़ुलामी का इतिहास पढ़ता था तो सोचता था कि इतना वीर और क्षमतावान देश ग़ुलाम कैसे हुआ ? आज मुझे ही नहीं पूरे देश को उत्तर मिल चुका है । राष्ट्र भावना को भगवाकरण का नाम देना सैनिकों, शहीदों और सारे देश का अपमान ही नहीं घोर अपमान है । ईश्वर इन्हें सद् बुद्धि दे । सरदार भगत सिंह , सुखदेव, राजगुरु , असफाक, तिलक, गांधी ,पटेल, अम्बेडकर ,विवेकानंद ---- किसका किसका नाम लें सब स्वर्ग में रुदन कर रहे होंगे ।
सही है तुम्हें देशभक्ति की किसी बाहरी से सर्टिफ़िकेट नहीं लेना अन्दर से ले लो , इंदिरा गान्धी से पूछ लो उनके परिवार वालों ! रवीन्द्र नाथ टैगोर, सुभाष से पूछ लो बंगाल वालों -------
कितना लिखूँ दिल फट रहा है, लेखनी पीड़ा मे सराबोर है ----
अंत में गांधी का "हे राम " !!
राजकुमार सचान होरी
अध्यक्ष - बदलता भारत, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी
www.horionline.blogspot.com
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