रक्षाबंधन के दोहे ...
[१] बहना राखी बांध कर ,भाई से लिपटाय |
'होरी' बोली नेह से , हिय में रखना भाय||
[२]रक्षाबंधन आपको , मंगलमय शुभ लाभ |
'होरी' राखी कर लिए ,भगिनी नेह जनाब ||
[३] राखी राखे नेह को , भ्रात भगिनि में ढेर |
'होरी' राखी पर्व ही , जिय हिय राखे घेर ||
[४] राखी धागा प्रेम का , हो भ्राता के हाथ |
'होरी' bahna हेतु यह , ताजीवन का साथ ||
[५] भ्रात भगिनि में हों जभी , पूर्ण नेह सम्बन्ध |
'होरी' राखी सफलतम , जीवन भर अनुबंध ||
[६] रक्षाबंधन श्रेष्ठतम , पर्वों का त्यौहार |
'होरी' इसमें है भरा , भ्रात , भगिनि का प्यार ||
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राज कुमार सचान 'होरी'
Hori ke dohon ka na to koi jawab hai aur na hi koi tod... advitiya...!
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