नंग महिमा [भाग ३]
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जन्म से ही नंगा होने के कारण जीव जन्मजात नंग है |उसकी कुंडली में 'नंगई' है |तभी वह हमेशा नंगई पर उतरा रहता है |वश्त्र धारण तो वह मा बाप
के दबाव में ही करता है, अन्यथा उसे तो नग्न रूप ही भाता है | बल बच्चेदार
हैं तो जानते ही होंगे ,बच्चे को मौका मिला ,तुरंत कपडे उतार फेंके |
बड़े हो कर बच्चे युवक बनते हैं , लेकिन लुके छिपे वही नग्न रूप
निहारने में आगे रहते हैं |मान मर्यादा में भले वे वश्त्र धारण करे ,पर
अवसर पाते ही दुह्शासन की तरह चीर हरण में पीछे नहीं रहते |जवानी में नंगई में इतना व्याकुल रहता है कि नग्नता को श्रंगार कहता है | साहित्यकारनुमा नंग एक हाथ आगे बढ़ कर श्रंगार को रसराज का दर्जा
दे देते हैं | कई नामधारी , अनामधारी कवि तो अपने साहित्य में नग्न चित्रण के अतिरिक्त कुछ नहीं करते हैं |
चार आश्रम है ... ब्रह्मचर्य , गृहस्थ , वानप्रस्थ और सन्यास | ब्रह्मचर्य में चोरी छिपे नंगई , गृहस्थ में खुले आम |वानप्रस्थ और सन्यास में सलीके और सभ्यता के आवरण में नग्न रस का पान | सौ साल का बूढ़ा भी कहता है .....दिल तो अभी जवान है |
इसी नंगई की महिमा है कि जन संख्या दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है |
हमारे अन्दर हमेशा आदम और हौव्वा विद्यमान रहते हैं |आज भी घर में सबसे अधिक बाथरूम और बेडरूम सजाने में ध्यान दिया जाता है |जिव की इसी नग्न अवस्था का नग्न सत्य है की वह
परमेश्वर से दूर ही रहता है , उसके पास तो मजबूरी में जाता है | कई बार वह नंगई से प्राप्त हिस्से में कुछ देने वहाँ जाता है |
अब तो अप समझ गए होंगे की नंग , परमेश्वर से बड़ा है |आईये , नंग की सत्ता को साष्टांग दंडवत करें |नंग की पूजा , अर्चना ,करें |वंदना करें | लेखकों , कवियों को चाहिए नंग महिमा पर गीत लिखें , भजन ,कीर्तन लिखें | उनकी आरती लिखें |
कलियुग का परमेश्वर ही नंग है या नंग ही परमेश्वर है |'होरी' की सीख है अप गीत , ग़ज़ल दोहे नहीं अपितु नंग पर खंड और महाकाव्य लिखें |इश्वर ने तो लक्ष्मी और सरस्वती का वैर बनाये रखा ,पर नंग कृपा से इहलोक और परलोक दोनों बन जायेगा |देश के एक वरिष्ठ कवि श्री हरिपाल सिंह जो 86 के हो कर जवान हैं..... अर्थात .....
अज कल नंग महिमा पर ' सूरसागर' और 'होरी काव्य सागर' की तर्ज पर "नंग काव्य सागर " लिख रहे हैं |उनका दावा है कि इसका पठन पाठन घर ,घर होगा| यह भी दावा है कि यह किताब कोर्ष में चलेगी |'होरी' कि उन्हें शुभ कामना है कि वह किसी नंग के दरबार में 'नौरत्न ' कि तरह शोभा पावें |
नंग महिमा का अंतिम अध्याय समाप्त |
सब एक साथ बोलो ... नंग महराज कि जय |
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राज कुमार सचान 'होरी'
नंग महराज कि जय |
ReplyDeleteश्री हरपाल सिंह जी को मेरी तरफ से भी उनके नग्न काव्य के लिए अनंत शुभकामनाएं... बस कविराज एक ध्यान रखें, दुनिया में सब नग्न है वो तो यतार्थ है, किन्तु नाग्न्शास्त्र लिखते लिखते कविता को नग्न न करें... बाकी तो... नंग महाराज की जय ही जय है