होरी कहिन
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१--
कैसे कह दूँ आज मैं , हिन्दू धर्म महान ?
जाँत पाँत का जन्म से , बैठा जब शैतान।।
बैठा जब शैतान , हिन्दुओं के जीवन में ।
रहें दूरियाँ इक दूजे से,कुछ जन मन में ।।
विघटन ऊँच नीच से ,पीड़ित ऐसे सब ।
होरी हिन्दू गर्व करें , फिर कैसे कब ??
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२--
पत्रकारिता है बनी ,सर्वोत्तम व्यवसाय ।
हर्र लगे ना फिटकरी , रंग चोखा हुइ जाय।।
रंग चोखा हुइ जाय ,मान सम्मान समेंटें ।
कहीं किसी कोऔर कभी भी, लगें झपेटें ।।
अहम्, वाक्पटुता का खाता ,चौथा खम्भा ।
होरी कलियुग का है , यह तो बड़ा अचम्भा ।।
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३--
यदि चौथा स्तम्भ है , लोक तंत्र आधार ।
इसको रखें संभाल कर , मत करिये बेकार ।।
मत करिये बेकार , करें जन जन की सेवा ।
रहे देश ख़ुशहाल , तभी तो खायें मेवा ।।
पत्रकारिता धर्म सदा ही , रखिये मन ।
होरी तुमसे करे अपेक्षा , जन ग़न मन ।।
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राजकुमार सचान होरी
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