---------- Forwarded message ----------
From: Rajkumar Sachan <horirajkumar@gmail.com>
Date: Tuesday 5 April 2016
Subject: होरी कहिन
To: Sun Star Feature <sunstarfeature@gmail.com>, Sun Star V S Tiwari <vstiwari1969@rediffmail.com>
होरी कहिन
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१--
टीआरपी के मोह में , कुछ चैनेल मशगूल ।
आड़ा तिरछा खेलते , करें भूल पर भूल ।।
करें भूल पर भूल , ख़बर को तोड़ मरोड़ें ।
गुणा,भाग के साथ घटायें, फिर कुछ जोड़ें ।।
चौथा खम्भा जगह जगह से दरक रहा ।
होरी निज स्थल से खम्भा , सरक रहा ।।
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२--
श्वान पूँछ टेढ़ी रहे , पाकिस्तान प्रमाण ।
गजनी ,गोरी आदि हैं , अब भी उसके प्राण ।।
अब भी उसके प्राण , बसें भारत विरोध में ।
पानी पी पी कर गलियाये, हमें क्रोध में ।।
जीते मरते अकड़ में , ऐंठ रहे हैं मूँछ ।
कुत्ते सी टेढ़ी रहे , पाकिस्तानी पूँछ ।।
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३--
राष्ट्रवाद जिस देश में , फूले फले अपार ।
देश वही सिरमौर हो , श्रेष्ठ बने संसार ।।
श्रेष्ठ बनें संसार , मिले सम्मान जहाँ ।
राष्ट्रवाद पर भारत में ही , मिले कहाँ ??
राष्ट्रवाद को सींचिये,हिलमिल कर अब आप।
होरी हरिये देश से , राष्ट्रद्रोह का पाप ।।
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राजकुमार सचान होरी
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