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Tuesday, June 28, 2011

'HORI KHADAA BAZAAR MEN[ 7] .... BHRASHTAACHAAR'

भ्रष्टाचार एक ऐसा अचार है जो भोजन को स्वादिष्ट और सुपाच्य
बना देता है  , तभी हर व्यक्ति जिसको खाने का अवसर मिल जाता
है  अचार जरूर चखता है  | मुख्य भोजन ,खाना ,नाश्ता व्यक्ति के मुख  में 'लार' लाने में  सक्षम नहीं होते , जबकि 'अचार' देखते ही खाने 
वाले के मुंह में  'लार' आ जाती  है  |कुछ 'अचार' तो इतने आकर्षक और  मुग्धकारी होते  हैं जिनको देखने से पहले  ही , मात्र सोचने भर
से लार  आती ही नहीं बल्कि टपकने लगती है  |
                                                  'होरी' दूसरे  शब्दों में कहें तो भ्रष्टाचार 
एक मिठाई है  जो भोजन  के साथ खाते हैं  |यह और  बात है , कि कुछ के भाग्य में मिठाई  का एक टुकडा आता है  तो  कुछ   के हिस्से में मिठाई
का  पूरा टोकरा |कुछ इतने  महत्वपूर्ण हैं  कि वे भोजन के स्थान पर
केवल मिठाई ही  खाते  हैं  |इससे भी ऊपर कुछ  अति महत्वपूर्ण और
भाग्यशाली हैं  जो  भोजन  नहीं  करते बल्कि  रात दिन मिठाई ही खाते  रहते हैं  |
                                         'होरी' ने एक  सर्वे पढ़ा कि  दुनिया में सर्वाधिक सुगर के मरीज भारत में मिलते हैं| अब समझ में आ रहा
है कि ऐसा क्यों है  ?सुगर  के  मरीज  सबसे ज्यादा क्यों ? क्योंकि भ्रष्टाचार  की  मिठाई  भारत में ही सबसे  अधिक खायी जाती है |
मिठाई भी  भांति  ,भांति  की  ....कोई लड्डू ही  खाता रहता है , कोई जलेबी ,कोई इमरती  ,कोई  रसगुल्ला ,कोई  कालाजाम , कोई रसमलाई ,.......न जाने कौन कौन  मिठाई  ? कोई  कोई  बतासे खा कर
ही काम चला लेता है  |
                                                    'होरी' ने सोचा ,चलो भारतीय बाज़ार
में कुछ लोगों से मिल कर  भ्रष्टाचार  और  भ्रष्टाचारियों पर बात करें
सबसे पहले  बाज़ार  में  माथे पर  पसीना बहाए , दाढ़ी खुजाते मिल गए .....ढेर सारा अनुभव लिए [भ्रष्टाचार का नहीं ] श्री श्री हरिपाल सिंह | मेरे पूछने पर  बोले  'भ्रष्टाचार  हमारे खून में है , जिसे मौका मिला वही खाता है , जिसे न मिला वह भोंकता है , सदाचारी बन जाता है |फिर समझाते हुए बोले  ....' दो कुत्ते हैं ...एक हड्डी चूसता
है ,बड़े मजे से , पूरे मनोयोग से ,एकाग्र हो कर    और दूसरा जो हड्डी 
नहीं पाता  हड्डी  खाने वाले कुत्ते पर झपटताहै , भोंकता है ,गुर्राता है ||थक कर बैठ कर दूर से  ताकता है  , कभी ,कभी 'अनशन' की मुद्रा
में  बैठे ,बैठे हड्डी की कल्पना में  खोया हुआ प्राणायाम करता है ,ध्यान लगाता है  .....लेकिन  जैसे ही अवसर मिलता है दौड़ लगा कर हड्डी पर  झपटता है  और वह भी बची खुची चूसने लगता है |
                                                एक सर्वे से और ज्ञात हुआ कि हर व्यक्ति को अपना नहीं ,सदा दूसरों का ही भ्रष्टाचार दिखाई  देता है
अपना भ्रष्टाचार बस एक फर्जी आरोप ,इसी द्रष्टि दोष के कारण एक सोसाईटी 
के कुछ सदस्यों को अपना भ्रष्टाचार  आज तक दिखाई न दिया भले ही उन्हें सारा देश भ्रष्ट दिखाई 
देता हो |
                                          'होरी'एक और बात ....भ्रष्टाचार में केवल 
आर्थिक भ्रष्टाचार ही दिखाई देता है  |ऊंच ,नीच समझने ,छुआ छूत
मानने , जातियों का जन्म से भेद , भाई भतीजावाद , भगवान् के नाम पर लूट , पाखण्ड ,अंध विश्वास ,ह्त्या ,बलात्कार , दहेज़ उत्पीडन ,सम्मान ह्त्या , राजनैतिक , नैतिक ,  देश द्रोह  ....... न जाने कितने और न जाने कितना    .....नहीं दिखाई देते |
                                             दुनिया में  सबसे अधिक प्रवचन करने वाले संत,महात्मा भारत में पाए जाते हैं |सबसे अधिक भगवान् भी
यहीं ,पर  नैतिक  पतन सबसे ज्यादा यहीं |भारत  के मंदिरों ,आश्रमों
में सदियों से सबसे ज्यादा धन |वाह क्या बात है ?माथा टेकते हैं लोग इसी का  | अब मेरा भी माथा फट रहा है  |चक्कर खा कर गिर पडा है 'होरी'.....मुख  से बस निकला है  ..."हे राम "
                                                   राज कुमार सचान 'होरी'

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