देश में बलात्कार की घटनाओं में वृद्धि से सरकारें ,जनता तो परेशान हैं ही , उससे ज्यादा 'होरी' परेशान है |आज बाज़ार में चारों ओर बलात्कार की चर्चा है ,'होरी' खड़े हो कर बस देख रहा है ....जो बलात्कार झेल रहे हैं उन्हें भी और जो बलात्कार खेल रहे हैं उन्हें भी |
'होरी' को यह जान कर संतोष है कि इस बार बलात्कारियों से अधिक जागरूक और संवेदनशील सरकारें हैं |
मैंने भी सोचा है कि इस नेक काम [सजा दिलाने ] में अपना भी योगदान हो , ताकि बलात्कार पर जब क़ानून बने और उस पर इतिहास लिखा जाये ,मेरा नाम भी रिकार्ड बुक में दर्ज किया जाए |देश का एक एक बलात्कारी और उनकी भावी पीढ़ी मेरे नाम से भय खाए , बलात्कारियों पर बलात्कारी के रूप में मेरा नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाए |
'होरी' का उद्देश्य समाज से बलात्कार
को मिटाना है ,बलात्कारियों को भी मिटाना है |पाप से घ्रणा करो , पापी से नहीं , कि कहावत यहाँ नहीं चलेगी |इस कहावत को मानने
वालों को यहाँ पानी में भिगोये जूते मिलना तय है ,इसीलिये मैं कहता हूँ ....पाप से और पापी दोनों से घोर घ्रणा करो ,केवल घ्रणा ही नहीं बल्कि बलात्कार पर जोर से ,पूरे दम से बलात्कार करो |
आईये मेरे साथ , बलात्कार पर बलात्कार करें |एक बलात्कार विरोधी मोर्चा बनाएं , जिसमे वे सारे सदस्य हों
जिन्होंने कभी भी सोते ,जागते ,सपने में भी बलात्कार का ख्याल मन में न आने दिया हो .......पर एक मुशीबत सर मुडाते ही ओले पड़े .....लोग सदस्यता फार्म तो ले जाते हैं जोर शोर से , पर सदस्य कम बन रहे हैं |'होरी' ने अपने मुख्य जासूस श्री श्री १००८ हरिपाल सिंह को कारण जानने में लगाया तो उनकी रिपोर्ट में हुए खुलासे के अनुसार समाज में ऐसे बहुत कम लोग हैं जिन्होंने कभी भी मनसा , वाचा ,कर्मणा बलात्कार का ख्याली पुलाव न पकाया हो |फिर भी हम निराश नहीं मोर्चा ,मोर्चा खाए हुए बढ़ रहा है |
हमारे मोर्चा ने मेरी अध्यक्षता में कुछ सुझाव दिए हैं , अगर इनका पालन हो गया तो समझो बलात्कार गया ,बलात्कार बस पुस्तकों में मिलेगा ,समाज में नहीं |दंड प्रक्रिया संहिता में , आई पी सी में परिवर्तन किया जाय कि ....उसको जमानत मिले ही नहीं ,जब तक पीड़ित युवती ,बालिका ,बुढ़िया या
जैसा भी केस हो स्वयं उसकी जमानत न ले |जब तक जेल में बलात्कारी रहे उसे कपडे पहनने को न दिए जाँय ,जेल कि दीवारें उसको घूर ,घूर कर बलात्कार करती रहें |
मुक़दमे में पेशी के दौरान भी बलात्कारी को फटी कच्छी , बनियायिन ही पहनने को दी जाँय |दौरान मुकदमा
बलात्कारी को खड़े रहने के स्थान पर घुटनों के बल रहने को कहा जाय |बलात्क्रता नारी से वकील जबानी कुछ न पूछ सके , सिर्फ कागज़ पेन्सिल से ही काम चलाया जाय |जेल में बलात्कारी को कभी भी बाल बनाने की सुविधा न दी जाय ,जिससे उसे पता चल जाय कि कुरूपता क्या होती है ,वोह कितना गंदा है |
सरकारों को चाहिए , वे प्रत्येक वर्ष सर्वे कराएं और एक पल्स पोलियो टाईप का टीका उन्हें लगाएं जिनमे प्राथमिक तौर पर बलात्कार के वायरस पाए जाँय , उनकी बलात्कार्नुमा मर्दानगी का समय रहते इलाज़ करते रहा जाय |ऐसे बलात्कारियों को जिनमे यह बीमारी सेकण्ड स्टेज क्रास कर गयी हो , वे चाहे जेल में हों या बाहर , ऐसी दवा दी जाय जो उन्हें धीरे ,धीरे शिखंडी समाज के लायक बना दे |उनकी पीठ पर लिख दिया जाय .......पुरुष नालायक , किन्नर लायक |
चूंकि बलात्कारी बड़ा मर्द बनता है ,इस लिए उसे सजा के तौर पर फौज कि अगली कतार में रखा जाय |वे दुश्मन से जिस तरह का भी युद्ध करना चाहें करने की छूट दी जाय |हो सकता है बलात्कारी युद्ध की एक नयी विधा ही विकसित करदें जिसे दुनिया का कोई भी देश न जानता हो |
मर्द और औरत की जनसँख्या में अंतर ठीक किया जाय , कन्या भ्रूण ह्त्या बंद कराई जाँय |एक समय ऐसा आ जाय कि पुरुष कम ,नारियां अधिक |तब नारियां पुरुषों से
अपने पूर्वजों का बदला लें और पुरुषों पर बलात्कार करें |शठे शाठ्यम समाचरेत |फिर 'होरी' बाज़ार में जायेगा और नए उपाय, क़ानून बतायेगा |
अब लेख के साथ ही लगता है बलात्कार हो रहा है , इसलिए बलात्कार कथा समापन की पवित्र अनुमति दी जिए |
राज कुमार सचान 'होरी'
'होरी' को यह जान कर संतोष है कि इस बार बलात्कारियों से अधिक जागरूक और संवेदनशील सरकारें हैं |
मैंने भी सोचा है कि इस नेक काम [सजा दिलाने ] में अपना भी योगदान हो , ताकि बलात्कार पर जब क़ानून बने और उस पर इतिहास लिखा जाये ,मेरा नाम भी रिकार्ड बुक में दर्ज किया जाए |देश का एक एक बलात्कारी और उनकी भावी पीढ़ी मेरे नाम से भय खाए , बलात्कारियों पर बलात्कारी के रूप में मेरा नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाए |
'होरी' का उद्देश्य समाज से बलात्कार
को मिटाना है ,बलात्कारियों को भी मिटाना है |पाप से घ्रणा करो , पापी से नहीं , कि कहावत यहाँ नहीं चलेगी |इस कहावत को मानने
वालों को यहाँ पानी में भिगोये जूते मिलना तय है ,इसीलिये मैं कहता हूँ ....पाप से और पापी दोनों से घोर घ्रणा करो ,केवल घ्रणा ही नहीं बल्कि बलात्कार पर जोर से ,पूरे दम से बलात्कार करो |
आईये मेरे साथ , बलात्कार पर बलात्कार करें |एक बलात्कार विरोधी मोर्चा बनाएं , जिसमे वे सारे सदस्य हों
जिन्होंने कभी भी सोते ,जागते ,सपने में भी बलात्कार का ख्याल मन में न आने दिया हो .......पर एक मुशीबत सर मुडाते ही ओले पड़े .....लोग सदस्यता फार्म तो ले जाते हैं जोर शोर से , पर सदस्य कम बन रहे हैं |'होरी' ने अपने मुख्य जासूस श्री श्री १००८ हरिपाल सिंह को कारण जानने में लगाया तो उनकी रिपोर्ट में हुए खुलासे के अनुसार समाज में ऐसे बहुत कम लोग हैं जिन्होंने कभी भी मनसा , वाचा ,कर्मणा बलात्कार का ख्याली पुलाव न पकाया हो |फिर भी हम निराश नहीं मोर्चा ,मोर्चा खाए हुए बढ़ रहा है |
हमारे मोर्चा ने मेरी अध्यक्षता में कुछ सुझाव दिए हैं , अगर इनका पालन हो गया तो समझो बलात्कार गया ,बलात्कार बस पुस्तकों में मिलेगा ,समाज में नहीं |दंड प्रक्रिया संहिता में , आई पी सी में परिवर्तन किया जाय कि ....उसको जमानत मिले ही नहीं ,जब तक पीड़ित युवती ,बालिका ,बुढ़िया या
जैसा भी केस हो स्वयं उसकी जमानत न ले |जब तक जेल में बलात्कारी रहे उसे कपडे पहनने को न दिए जाँय ,जेल कि दीवारें उसको घूर ,घूर कर बलात्कार करती रहें |
मुक़दमे में पेशी के दौरान भी बलात्कारी को फटी कच्छी , बनियायिन ही पहनने को दी जाँय |दौरान मुकदमा
बलात्कारी को खड़े रहने के स्थान पर घुटनों के बल रहने को कहा जाय |बलात्क्रता नारी से वकील जबानी कुछ न पूछ सके , सिर्फ कागज़ पेन्सिल से ही काम चलाया जाय |जेल में बलात्कारी को कभी भी बाल बनाने की सुविधा न दी जाय ,जिससे उसे पता चल जाय कि कुरूपता क्या होती है ,वोह कितना गंदा है |
सरकारों को चाहिए , वे प्रत्येक वर्ष सर्वे कराएं और एक पल्स पोलियो टाईप का टीका उन्हें लगाएं जिनमे प्राथमिक तौर पर बलात्कार के वायरस पाए जाँय , उनकी बलात्कार्नुमा मर्दानगी का समय रहते इलाज़ करते रहा जाय |ऐसे बलात्कारियों को जिनमे यह बीमारी सेकण्ड स्टेज क्रास कर गयी हो , वे चाहे जेल में हों या बाहर , ऐसी दवा दी जाय जो उन्हें धीरे ,धीरे शिखंडी समाज के लायक बना दे |उनकी पीठ पर लिख दिया जाय .......पुरुष नालायक , किन्नर लायक |
चूंकि बलात्कारी बड़ा मर्द बनता है ,इस लिए उसे सजा के तौर पर फौज कि अगली कतार में रखा जाय |वे दुश्मन से जिस तरह का भी युद्ध करना चाहें करने की छूट दी जाय |हो सकता है बलात्कारी युद्ध की एक नयी विधा ही विकसित करदें जिसे दुनिया का कोई भी देश न जानता हो |
मर्द और औरत की जनसँख्या में अंतर ठीक किया जाय , कन्या भ्रूण ह्त्या बंद कराई जाँय |एक समय ऐसा आ जाय कि पुरुष कम ,नारियां अधिक |तब नारियां पुरुषों से
अपने पूर्वजों का बदला लें और पुरुषों पर बलात्कार करें |शठे शाठ्यम समाचरेत |फिर 'होरी' बाज़ार में जायेगा और नए उपाय, क़ानून बतायेगा |
अब लेख के साथ ही लगता है बलात्कार हो रहा है , इसलिए बलात्कार कथा समापन की पवित्र अनुमति दी जिए |
राज कुमार सचान 'होरी'
No comments:
Post a Comment