शब्दों के अम्बार भी लगा कर , हम कह नहीं सकते
जो बेजुबान आँखें बेज़ुबानी कह जाती हैं |
शब्द कोशों के सारे शब्द , क्या कह पायेंगे वह सब ,
जो दिल से कोई आँखें अनजानी कह जाती हैं ||
राज कुमार सचान 'होरी'
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