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Saturday, June 25, 2011

HORI KHADAA BAZAR MEN 5 ...."SAMMAAN HATYA..HONOUR KILLING"

समाज और इतिहास गवाह है ....'गंधर्व विवाह' आदि काल से होते आये हैं | जब स्त्री ,पुरुष घर से भाग कर बिना परिवार की मर्जी से
विवाह बंधन में बंधते  हैं  ,उसे गंधर्व विवाह कहा जाता है |भारतीय
संस्कृति ,प्राचीन इतिहास में  विवाहों  के भेदों में एक भेद यह भी है|
इस विवाह को मान्यता थी , अनेक द्रष्टान्त भरे  पड़े हैं |
                                        भारतवर्ष जिसके नाम से पड़ा उस भरत का जन्म दुष्यंत और शकुन्तला के  इसी विवाह से हुआ था |गंधर्व
या प्रेम विवाह  से  |हम भारत के लोग इसी प्रेम ,गंधर्व विवाह की संतानें हैं  |फिर होरी बाज़ार में खडा खडा  अपने बाल नोच रहा है ,
कपडे फाड़  रहा है  कि भरत वंशी अपनी सम्मान परम्परा से भटक
कैसे गए  ! सम्मान हत्या कैसे करने लगे !
                            'होरी' निकल पड़ा  कुछ पूछताछ  करने ...... एक पंचायत के पञ्च से पूछा 'घर कि लड़की और  उसके प्रेमी पति को दिन दहाड़े क्यों मार देते  हो ?'  पंचायत  का  उन्होंने अपमान किया
हमने सम्मान किया  |जीवन ,मरण  तो लगा ही रहता है  ,जो आया है फिर पैदा होगा  लेकिन सम्मान एक  बार मरा ,फिर दोबारा न पैदा होगा |
सम्मान हत्या हमारा सामाजिक धर्म है |पञ्च परमेश्वर को माथा टेक कर
'होरी आगे बढ़ गया ........अपने सम्मान ,अपमान  को सरपंच की 'खाप' तुला पर तोल कर अपनीं म्रत्यु के साक्षात् दर्शन कर फूट लेने
के सिवा और कोई चारा भी न था |
                                एक साहित्यकार से जानना चाहा .... 'सम्मान हत्या क्या है ?' वह शब्दों में  साहित्यिक चासनी लगा कर बोले  ...'यह वह सामाजिक ,साहित्यिक विधा है जो सम्मान वृद्धि  के
लिए संपादित की जाती है  | मैंने पूछा  यह साहित्यिक विधा कैसे? वह गंभीर होकर बोले  ....'स हितम ईति साहित्यं , जो हित के लिए किया जय वही साहित्य है  |यह सम्मान हित के लिए है इस लिए साहित्यिक है |मई खीज कर बोला....'आप उचित समझते हैं ?' नहीं , यह उचित ,अनुचित के भेदाभेद  से परे है |आगे बोले मेरी एक कहानी की नायिका सम्मान हत्या की शिकार हो जाती है , मेरा वह उपन्यास बहुत बिका , कहानी है  ......|मै जान बचा कर भागा |
                             कई पत्रकारों के साक्षात्कार लिए .... सब के सब ने  आनर किलिंग के  मनोहारी शब्द चित्र प्रस्तुत किये ,कथानकों
के सांगोपांग वर्णन सुनाये , भर्त्सना से  अधिक उनका ध्यान नायक नायिका के नख शिख चित्रण पर रहा  | भागा एक बार फिर कहीं पत्रकार मेरा ही इन्त्र्वियो न  ले ले  | अब समाज के अन्य वर्गों का साक्षात्कार  आगे लूँगा ,तब तक ठंडी श्वाश ले लूं |
                               राज कुमार सचान 'होरी'

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